सलेमपुर, 24 अक्टूबर 2025: बापू महाविद्यालय इण्टर कॉलेज, सलेमपुर में शुक्रवार को स्वर्गीय प्रकाश सिन्हा, दिवंगत प्रधानाचार्य की 24वीं पुण्यतिथि पर “संस्थापक स्मृति समारोह” बड़े श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के संस्थापक प्रधानाचार्य प्रताप नारायण सिन्हा तथा स्वर्गीय प्रकाश सिन्हा के जीवन और कृतित्व पर वक्ताओं ने विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की शुरुआत स्वर्गीय प्रकाश सिन्हा के चित्र पर दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से हुई। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विद्यालय के वर्तमान प्रधानाचार्य कैप्टन संतोष चौरसिया ने अपने संबोधन में कहा, “स्वर्गीय प्रकाश सिन्हा एक आदर्श शिक्षक और कर्मठ प्रशासक थे। उन्होंने विद्यालय को शिक्षा एवं अनुशासन की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वे सदैव कर्तव्यनिष्ठ रहे और उनका योगदान विद्यालय परिवार के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बना रहेगा।”
समारोह में विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य, क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति, सेवानिवृत्त एवं वर्तमान शिक्षक-शिक्षिकाएं, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्रवक्ता श्री प्रभुनाथ मिश्र ने की, जबकि संचालन श्री रवि प्रताप सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य कैप्टन संतोष चौरसिया द्वारा किया गया।

उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में श्री वीरेंद्र कुमार, श्री हिमांशु सिन्हा, श्री रामध्यान प्रसाद, श्री संजय कुमार सिंह, श्री नागेंद्र द्विवेदी, श्री राकेश कुमार राय, श्री रवि प्रताप सिंह, श्री दिवाकर मिश्रा, कु. नीलम चौधरी, कु. श्वेता गुप्ता, ममता कुमारी, हिना कौसर, श्री रोशन कुमार कुशवाहा, डॉ. विकास कुमार द्विवेदी, श्री दिग्विजय प्रजापति, श्री अनिल कुमार सिंह, श्री शैलेश कुमार, श्रीमती रीना जायसवाल, आफरीन, सोनम पाण्डेय, शालिनी सिंह, श्री ओम नारायण तिवारी, श्री सुधीर कुमार, श्री सुरेंद्र कुमार, श्री मुरारी चरण, श्री प्रदीप कुमार सहित अन्य शिक्षक, स्टाफ सदस्य एवं छात्र-छात्राएं शामिल रहे।
कार्यक्रम के दौरान विशेष रूप से मानव पब्लिक स्कूल, सलेमपुर के प्रधानाचार्य संजीव दूबे, जिनका 21 अक्टूबर 2025 को दुखद निधन हो गया, को मौन रखकर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
समारोह का समापन स्वर्गीय प्रकाश सिन्हा के आदर्शों का अनुसरण करने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने के संकल्प के साथ हुआ। यह आयोजन विद्यालय के इतिहास में शिक्षा और अनुशासन के प्रति समर्पण की भावना को पुनर्जीवित करने वाला साबित हुआ।
